Monday, November 25, 2024

Mirza Galib Sher

 दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

आख़िर इस दर्द की दवा क्या है

हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ार

या इलाही ये माजरा क्या है

मैं भी मुँह में ज़बान रखता हूँ

काश पूछो कि मुद्दआ' क्या है

जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद

फिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है


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Mirza Galib Sher

 दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है आख़िर इस दर्द की दवा क्या है हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ार या इलाही ये माजरा क्या है मैं भी मुँह में ज़बान रखत...