मैं मैकदे की राह से होकर गुजर गया, वरना सफर हयात का काफी तबील था - अब्दुल हमीद ''अदम''
कुछ सागरों में जहर है कुछ में शराब है, ये मसअला है तश्नगी किससे बुझाई जाय -"अखलाक''
दुख्तरे-रज ने उठा रक्खी है आफत सर पर, खैरियत गुजरी कि अंगूर के बेटा न हुआ-अकबरइलाहाबादी
रिन्दे-खराब-हाल को जाहिद न छेड़ तू तुझको पराई क्या पड़ी अपनी निबेड़ तू - जौक
उस शख्स पर शराब का पीना हराम है जो रहके मैकदे में भी इन्सां न हो सका - पारसा कौसरी
इतनी पी है कि बाद तौबा भी बे पिए, बेखुदी सी रहती है - रियाज खैराबादी
कभी खुशी से खुशी की तरफ नहीं देखा तुम्हारे बाद किसी की तरफ नहीं देखा - मुनव्वर राना
यूं इस कदर हवा नहीं चलती उसे तो सिर्फ हमारा दिया बुझाना था
मेरे महबूब के दामन की वो एक जुम्बिश है बागवां जिसको गुलिस्तां की हवा कहते हैं -फलक देहलवी
थोड़ी बहुत मुहब्बत से काम नहीं चलता ऐ दोस्त ये वो मामला है जिसमें या सब कुछ या कुछ भी नहीं - फिराक
समझते क्या थे मगर सुनते थे फसानाए-दर्द समझ में आने लगा जब तो फिर सुना न गया -यग़ाना
पूछा जो उनसे गैर को चाहूं तो क्या करो बोले कि जाओ चाहो कोई दूसरा भी है - हकीम काशिफ
Some Famous Shayri
Posted by captain at 7:54 AM
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